Saturday, July 7, 2007

वो यारों की मैहेफील, वो हसीं पल
भुला नही सकते, वो भीता हुआ कल

कभी गुज़रती थी ज़ींदगी वक्त बीताने में,
आज वक्त गुज़र जाता है ज़ींदगी को जुटाने में

1 comment:

fitnessfreak said...

bahut acha likha hai!!